पीएचआई-पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव का संचालन करने वाले शोधकर्ताओं के प्रतिष्ठित इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ‘सिद्ध’ (Siddha)दवाओं के मिश्रण के इस्तेमाल से किशोरियों में एनीमिया बीमारी में सुधार हो रहा है। एनीमिया के इलाज के लिए ‘सिद्ध’ औषधियों के इस्तेमाल को मुख्यधारा में लाने के लिए यह पहल की गई।
आयुष मंत्रालय ने आज एक बयान में बताया कि इस अध्ययन में 2,648 लड़कियों को शामिल किया गया, जिनमें से 2,300 लड़कियों ने मानक 45-दिवसीय कार्यक्रम पूरा किया।
रिपोर्ट के अनुसार, इस कार्यक्रम की शुरुआत से पहले, शोधकर्ताओं ने सभी लड़कियों को कुण्टैवणल कुरणम से कृमि मुक्त किया, और फिर अवलोकन के तहत सभी लड़कियों को अण्णापेतिसेंतूरम, बावना कटुक्कय, माटुलाई मणप्पक्कु और नेल्लिकके लेकियम (एबीएमएन) का 45-दिनों का उपचार दिया गया।
इस अध्ययन में कार्यक्रम पूरा होने से पहले और बाद में जांचकर्ताओं ने सांस फूलना, थकान, चक्कर आना, सिरदर्द, भूख न लगना और पीलापन जैसी नैदानिक विशेषताओं की उपस्थिति का मूल्यांकन किया था, इसके साथ ही हीमोग्लोबिन मूल्यांकन और जैव रासायनिक आकलन भी किया गया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एनीमिया के लिए कट-ऑफ पॉइंट 11.9 मिलीग्राम/डीएल निर्धारित किया गया, 8.0 मिलीग्राम/डीएल से कम हीमोग्लोबिन स्तर को गंभीर माना जाता है, 8.0 से 10.9 मिलीग्राम/डीएल के बीच को मध्यम और 11.0 से 11.9 मिलीग्राम/डीएल के बीच को हल्का माना जाता है।
अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि 283 लड़कियों के रैंडम रूप से चयनित उपसमूह में हीमोग्लोबिन, पैक्ड सेल वॉल्यूम, मीन कॉर्पसकुलर वॉल्यूम, मीन कॉर्पसकुलर हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कणिकाओं, प्लेटलेट्स, कुल डब्ल्यूबीसी, न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइट्स और ईोसिनोफिल्स के लिए प्रयोगशाला जांच की गई थी।
शोधकर्ताओं ने पाया कि एबीएमएन ने थकान, बालों के झड़ने, सिरदर्द, रुचि की कमी और मासिक धर्म की अनियमितताओं जैसे एनीमिया के नैदानिक लक्षणों को काफी कम कर दिया और एनीमिया से पीड़ित सभी लड़कियों में हीमोग्लोबिन और पीसीवी, एमसीवी और एमसीएच के स्तर में काफी सुधार किया।
राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान की निदेशक डॉ. आर. मीनाकुमारी ने कहा, “सिद्ध औषधि की आयुष मंत्रालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में उल्लेखनीय भूमिका है।
किशोरियों में पैदा की गई जागरूकता, उन्हें दी जाने वाली आहार संबंधी सलाह और निवारक देखभाल तथा सिद्ध औषधियों के माध्यम से उपचार ने एनीमिया के रोगियों को चिकित्सीय लाभ प्रदान किया है। इसलिए एनीमिया के लिए सिद्ध औषधियां विभिन्न स्थितियों में लागत प्रभावी और सुलभ उपचार प्रदान करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में योगदान दे सकती हैं।”